These factors will help to boost the country economy

भारत अभी दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है. देश की इकोनॉमी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. जीडीपी ग्रोथ में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. GDP के आंकड़ों में तेजी आई है. मार्च तिमाही में देश की इकोनॉमी रिकॉर्ड 7.4 प्रतिशत बढ़ी है. इन दिनों ग्लोबल टेंशन का माहौल है. ऐसे में भी देश की इकोनॉमी के लिए अच्छे संकेत आना बढ़िया खबर है. आईएमएफ जैसी संस्थाओं ने यह अनुमान लगाया है कि भारत 2025 के आखिरी तक दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. आइए हम आपको बताते हैं कि वह कौन से फैक्टर्स हैं, जो देश की इकोनॉमी को आने वाले समय में बूस्ट करने में मदद करेंगे.

पूरी दुनिया इन दिनों युद्दों की चपेट में है. जब-जब ग्लोबली टेंशन का माहौल होता है. तब-तब उसका असर दुनिया भर के बाजारों, करेंसी और वहां की इकोनॉमी पर देखने को मिलता है. इन ग्लोबल टेंशन के बीच भी भारत ने अपनी जीडीपी ग्रोथ को बनाए रखा है. भारतीय रिजर्व बैंक ने भी साल 2025-26 के लिए देश जी इकोनॉमिक ग्रोथ के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. भारत को अमेरिका के साथ एक्सटर्नल डील में सपोर्ट मिलने से भारतीय इकोनॉमी को भी सपोर्ट मिलने की उम्मीद है. हालांकि, कुछ फैक्टर्स ऐसे हैं, जो भारतीय जीडीपी को बूस्ट करने में अहम रोल निभाएंगे.

सरकारी खर्च में बढ़ोतरी

ग्लोबल टेंशन के बीच जनवरी-मार्च तिमाही में जब प्राइवेट कंपनियों ने अपने हाथ खड़े कर दिए थे, तब सरकार ने अपने खर्च को बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को मजबूती दी थी. आईसीआरए की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के पास अभी इतना बजट है कि वह आराम से 0.8 ट्रिलियन रुपये इस वित्त-वर्ष में खर्च कर सकती है, जिसके बाद कुल कैपेक्स बढ़कर 12 ट्रिलियन रुपये के करीब हो जाएगा. देश का खर्च बढ़ेगा तो जीडीपी को सपोर्ट मिलेगा.

ग्रामीण खपत

ग्रामीण खपत भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूत बनी रहेगी. बेहतर मानसून और बढ़ती कृषि आय से ग्रामीण मांग को बल मिलेगा. ट्रैक्टर और टू-व्हीलर की बिक्री बढ़ रही है और FMCG की मांग भी मजबूत है. ग्रामीण मजदूरी में चार साल में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है. यह सब फैक्टर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे सकते हैं.

लो ब्याज दर

RBI ने रेपो रेट को 5.5% तक घटाकर और CRR में कटौती कर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया. यह तीसरी दर कटौती है, जो उधार और निवेश को प्रोत्साहित करेगी. इससे तरलता बढ़ेगी और विकास को गति मिलेगी. RBI का ध्यान अब महंगाई कंट्रोल से हटकर आर्थिक विकास पर ज्यादा हो गया है.

कंज्यूमर डिमांड

ग्रामीण मांग मजबूत है लेकिन शहरी मांग कमजोर है. बजट में टैक्स राहत कम होती मुद्रास्फीति और निचली ब्याज दरें उपभोक्ता मांग को बढ़ाएंगी. जूलियस बेयर के अनुसार निम्न और मध्यम आय वर्ग की खपत में सुधार होगा. जिसे अच्छे मानसून और टैक्स कटौती का समर्थन मिलेगा.

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